Tuesday 11 October 2016

Stammering struggle by Amit - Sunday meeting - 09-10-2016

नमस्कार मित्रों !!!!
बहुत दिनों बाद रिपोर्ट लिख रहा हूँ। जनवरी के बाद यह मेरी दूसरी मीटिंग है।

रविवार को म ३ बजकर 15 मिनट पर सेंट्रल पार्क पहुंच गया।  तभी थोड़ी देर में सौम्या भी वहां पहुंच गयी थी। थोड़ी देर हमने बातें कि फिर एक अच्छी  सी जगह देखकर बैठ गये। हम बातें कर  ही रहे थे कि अमित भी जल्दी ही आ गया।

जैसे सौम्या  ने व्हाट्सअप पर बताया कि " we discussed our past experiences and about our careers, what we can do and what we can not do".

सौम्या  ने ब्लॉकिंग के बारे में बताया कि  कैसे वह साधारण जीवन मे ब्लॉकिंग का सामना करती है और कुछ ब्लॉगकिंग एक्सपीरियंस भी शेयर किये। यह भी बताया कि ब्लॉकिंग को कैसे कण्ट्रोल करें।


इसी बीच हमने अमित को अपनी लाइफ के बारे में कुछ ज्यादा शेयर करने को कहा लेकिन वह  बोला कुछ खास नही तब मैंने सोचा एक आदमी ने 24 साल बीता दिये और बोल रहा है कुछ भी खास नहीं। तब मैंने सोचा क्या गलत जा रहा है।

सौम्या और अमित ने स्ट्रेंजर टॉक के लिये कहा लेकिन मैंने सोचा अभी ठीक नहीं है और कुछ ऐसा हो जिसमें मजा आये। अतः मैंने 10 मिनट बाद करने को बोला।

तभी सौम्या  ने बाउंसिंग प्रैक्टिस के लिये बोला। हमारे पास कुछ भी नहीं था प्रैक्टिस के लिए तभी मुझे याद  आया कि जो प्रैक्टिस पेपर जो मेरे पास है उसमे कुछ English paragraphs हैं उन्हें ही पढ़ लेते हैं।


सौम्या ने बाउंसिंग के साथ पढ़ा।
फिर मैंने।
अब बारी थी अमित की  ........ उसने पढ़ना स्टार्ट किया बिना बाउंसिंग के...

सौम्या & मैं :- बाउंसिंग के साथ पढो यार।
अमित :- जब प्रॉब्लम आएगी तब बाउंसिंग करूँगा।
 सौम्या & मैं :- नहीँ, हम लोग प्रैक्टिस कर  रहे हैं अतः जब प्रॉब्लम नहीं हो तब भी बाउंसिंग करो।
अमित :- ठीक है ( उसने पढ़ना स्टार्ट किया)

(वह अच्छे से बाउंसिंग नही कर रहा था और कुछ शब्दों के बाद उसकी आवाज बहुत धीमी सी हो गयी और मुझे ऐसे लग रहा था कि उसे बोलना अच्छा नहीं लग रहा, वह इससे भाग रहा है, वह सोच रहा है कि  ये नही हो सकता, अंदर से बहुत डरा  हुआ।  यह सब वैसे ही था जैसे पहले मेरे साथ होता था। )

(उसने मुश्किल से आधी लाइन पूरी की होंगी तब 1 वर्ड आया prejudice . उसने अपना बैलेंस खो दिया )

अमित :- नहीं बोला जा रहा। p पर तो मेरे दिक्कत होती है।
सौम्या & मैं :- कोई बात नहीं कोशिश करो।

(उसने फिर से कोशिश की और नहीं हुआ। फिर उसी शब्द को सौम्या ने बाउंसिंग के साथ बोला और फिर मैंने बोला और फिर अमित से कहा कि हमने बोला वैसे बोलो।  वह बोलने में सफल तो हुआ लेकिन बड़ी मुश्किल से )
(उसने आगे बोलना जारी रखा मुश्किल से 1 - 2 लाइन्स हुई होंगी )

अमित :- बस आज इतना ही।
सौम्या & मैं :- क्यों ? हम कहीं नहीं जा रहे हम दोनों तुम्हारे लिए ही आएं हैं इसे कम्पलीट करो।

( उसने मुश्किल से मन बनाया और स्टार्ट किया और तभी 1 शब्द आया transmitted  .  इस बार उसने खूब कोशिश कि लेकिन बोल नहीं पाया। )

अमित :- बस  अब नहीं होगा।  स्ट्रेंजर टॉक के लिए चलते हैं।
सौम्या & मैं :- नहीं। स्ट्रेंजर टॉक नहीं होगी। अभी बाउंसिंग करेंगे फिर prolongation करेंगे। तुम डर क्यों रहे हो यार, हमारे सामने ही डरोगे तो कैसे काम चलेगा।

(तब सौम्या ने उसी शब्द को बाउंसिंग के साथ बोल के बताया और अमित को बोलने को कहा। उसने कोशिश की लेकिन नहीं हुआ।  फिर से की नहीं हुआ।
तब मैंने देखा वह  बाउंसिंग समझ नहीं पा  रहा है और इसका मुख्य कारण है उसके मन के अंदर का डर। वह  बहुत डरा हुआ है और इतना डरा हुआ है कि  बोलना ही नहीं चाह  रहा। वह  सोच रहा है कि  यार ये क्या हो रहा है।)
(फिर उसने उस शब्द को छोड़कर आगे पढ़ना शुरू किया और मैंने महसूस किया कि हर शब्द पर बोलने से पहले बहुत सोच रहा है। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा कि हम लोग इतने बेसहारा से होते हैं कि कोई हमें कोई इतना समझ क्यों नहीं पाता है। मैंने सोचा जब यह इतना डरा  हुआ है तो इसके लिए कम्युनिकेशन स्किल्स और जो भी है उनका तब  तक कोई मतलब नही है जब तक यह अपने आप को अंदर से अच्छा (comfortable) महसूस ना करे। खुद को यह न बोले कि  हाँ मैं बोल सकता हूँ तब तक कुछ पॉसिबल नहीं है। )

(उसने इसे पूरा किया और इसी बीच वही शब्द (transmitted) 2 बार ओर आया तो अब आप लोग समझ सकते हो क्या हुआ होगा। फिर prolongation किया सबने, इसमें भी उसे थोड़ी दिक्कत आयी)

अमित :- आज इतना ही और अगली बार।
मैं :- कहाँ जा रहे हो अभी तो "transmitted " बाकी है।
अमित :- नहीं  बाद मैं कर लेंगें।
सौम्या & मैं :- नहीं आज ही करेंगे।

तब मुझे आईडिया आया क्यों ना तीनों मिलकर साथ मैं बाउंसिंग करते हुए इस शब्द को पूरा करें।
तब हमने निर्णय लिया कि तीनोँ मिलकर 10 बार बाउंसिंग करेंगे और 10 वें बार में पूरा शब्द बोलेंगे।
1 बार किया। 2 बार किया।  मजा आया मुझे तो।
फिर सौम्या ने कहा 5 बार करेंगे। ठीक है 5 बार।
मैंने देखा कि अमित बहुत अच्छे से उस शब्द को बोल पा रहा है। तब मैनें कहा 5 बार बाउंसिंग होगी लेकिन सौम्या & मैं 2 बार करने के बाद रुक जायेंगे और अमित इसे 5 तक ले जायेगा और शब्द को पूरा करेगा।
हमने स्टार्ट किया ::--
      ट्रा (तीनों)          ट्रा(तीनों)                 ट्रा(अमित)               ट्रा(अमित)             ट्रांसमिटेड (अमित)

अमित ने बहुत अच्छे से वह शब्द बोला।  मैंने सोचा कि  इससे उसको वह लय  मिल गयी जिससे उसे बोलना था। फिर हमने इसे 3 - 4 बार किया और उसने बहुत ही अच्छे से पूरा किया।  अब मेरे समझ में आया कि क्यों हम घर पर घंटो प्रैक्टिस के बाद वह सब नही कर  पाते हैं क्योंकि हमें वह लय  नहीं मिल पाती है जिससे हमें अभ्यास करना चाहिए। हम वही अभ्यास करते हैं जो आज तक करते आ रहे हैं अतः हम फिर से फेल हो जातें हैं।

अब अगली बार जो भी आएगा उसे अच्छे से अभ्यास करवाएंगे।  आना जरूर।

Thank to all !

2 comments:

  1. Anurag ji, bohot behtareen!!!! Sunday ki poori meeting vapas yaad aa gyi. Dil khush ho gya ye padh k. Sahi kaha aapne, hume ek bohot accha tareeka mila hai. Ise continue karenge... :)

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  2. Anurag ji, bohot behtareen!!!! Sunday ki poori meeting vapas yaad aa gyi. Dil khush ho gya ye padh k. Sahi kaha aapne, hume ek bohot accha tareeka mila hai. Ise continue karenge... :)

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